PM Surya Ghar Yojana: प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना की धीमी रफ्तार, एक करोड़ घर का लक्ष्य, लेकिन अब तक सिर्फ 13% काम हुआ पूरा

प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना (PM Surya Ghar Yojana) देश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है कि देश के एक करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएं ताकि लोग अपनी बिजली खुद बना सकें और पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान दे सकें। इस योजना से न केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित होगी। हालांकि, योजना को शुरू हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका है, लेकिन अब तक इसकी रफ्तार उम्मीद के अनुसार तेज नहीं हो पाई है।

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PM Surya Ghar Yojana: अब तक क्या मिला और स्थिति क्या है

PM Surya Ghar Yojana ने अब तक लगभग 4,900 मेगावॉट यानी करीब 4.9 गीगावॉट की सौर क्षमता जोड़ी है। यह किसी भी दृष्टिकोण से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है क्योंकि इससे लाखों घरों को सस्ती और स्वच्छ बिजली का स्रोत मिला है। सरकार की ओर से अब तक लगभग 9,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी जारी की जा चुकी है, जिससे उपभोक्ताओं को शुरुआती लागत का बोझ कम करने में मदद मिली है।

फिर भी, एक करोड़ घरों में सोलर पैनल इंस्टॉल करने का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसका केवल 13% हिस्सा ही पूरा हो पाया है। यानी अभी तक करीब 13 लाख घरों पर ही सौर ऊर्जा की किरणें पहुंच पाई हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि योजना का असर जमीन पर तो दिख रहा है, लेकिन जिस तेजी की उम्मीद की गई थी, वह अब तक नहीं आ सकी है।

PM Surya Ghar Yojana गुजरात और केरल ने दिखाया बेहतरीन प्रदर्शन

PM Surya Ghar Yojana अगर राज्यों की बात करें तो गुजरात और केरल इस योजना में सबसे आगे हैं। इन दोनों राज्यों ने न केवल आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया है, बल्कि उपभोक्ताओं को भरोसा देने में भी सफलता हासिल की है। इन राज्यों में आवेदन से लेकर इंस्टॉलेशन तक की सफलता दर 60% से अधिक है, जो कि राष्ट्रीय औसत 22% से कहीं अधिक है। इसका प्रमुख कारण है इन राज्यों का मजबूत सोलर इकोसिस्टम, स्थानीय वेंडरों की सक्रियता, और लोगों में बढ़ती जागरूकता। वहीं, उत्तर भारत के कई राज्यों में अब भी प्रक्रिया धीमी है, जहां आवेदन तो हुए हैं लेकिन इंस्टॉलेशन की रफ्तार सुस्त बनी हुई है।

PM Surya Ghar Yojana अपनाने में बड़ी चुनौतियाँ

सौर ऊर्जा के प्रसार में सबसे बड़ी रुकावट जागरूकता की कमी है। कई लोग अब भी यह मानते हैं कि सोलर पैनल लगवाना बहुत महंगा है या इसका रखरखाव कठिन होता है। यह धारणा विशेषकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है। जबकि सच्चाई यह है कि सरकार 40% तक सब्सिडी दे रही है और पांच से सात साल में इसकी लागत पूरी तरह निकल जाती है।

इसके अलावा, लोन प्रक्रिया की जटिलता और बैंकिंग सिस्टम की धीमी प्रतिक्रिया भी उपभोक्ताओं के लिए बड़ी परेशानी बन रही है। बहुत से लोगों को शिकायत पोर्टल की तकनीकी समस्याओं, डेटा एंट्री में गलती और सब्सिडी वितरण में देरी का सामना करना पड़ रहा है। इन सबके कारण उपभोक्ताओं का भरोसा कमजोर होता है और योजना की रफ्तार धीमी पड़ जाती है।

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सरकार के प्रयास और सुधार की दिशा कुछ इस तरह हैं

केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें अब इन चुनौतियों को पहचानकर सुधार की दिशा में काम कर रही हैं। असम, दिल्ली, गोवा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपनी ओर से अतिरिक्त पूंजी सब्सिडी की घोषणा की है ताकि आम लोगों को शुरुआती लागत कम महसूस हो। साथ ही, 2024 से अब तक तीन लाख से अधिक लोगों को सोलर टेक्नोलॉजी से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार और दक्षता दोनों बढ़ सकें।

इसके साथ ही, सरकार ने ‘डोमेस्टिक कंटेंट रिक्वायरमेंट’ नियम लागू किया है जिससे हर इंस्टॉलेशन में भारतीय निर्मित सोलर मॉड्यूल का उपयोग अनिवार्य हो गया है। इससे न केवल देशी उद्योग को प्रोत्साहन मिला है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बने हैं।

तकनीकी बदलाव और नए आइडिया की ज़रूरत

सोलर मार्केट में अभी भी गुणवत्ता और मानकीकरण की कमी महसूस की जा रही है। इसीलिए रिपोर्टों में सुझाव दिया गया है कि सरकार को प्लग-एंड-प्ले सोलर किट्स को बढ़ावा देना चाहिए। इन किट्स में सोलर मॉड्यूल, इन्वर्टर, स्ट्रक्चर और केबल सभी एक पैक में उपलब्ध होंगे, जिससे इंस्टॉलेशन आसान और तेज़ हो जाएगा। यह नवाचार भविष्य में सौर ऊर्जा को आम घरों तक पहुँचाने की कुंजी साबित हो सकता है।

PM Surya Ghar Yojana के लिए जनता में जागरूकता और भरोसे की आवश्यकता

PM Surya Ghar Yojana की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि जनता तक उनकी जानकारी कितनी प्रभावी ढंग से पहुंचाई जाती है। सूर्यघर योजना को लेकर आम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाना अब बेहद जरूरी हो गया है। अगर लोगों को यह समझाया जाए कि सोलर पैनल सिर्फ बिजली बचाने का जरिया नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम है, तो इसमें लोगों की भागीदारी तेजी से बढ़ सकती है।

इसके अलावा, शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाना भी समय की मांग है। अगर उपभोक्ता की समस्या जल्द सुलझेगी, तो उसका भरोसा बढ़ेगा और योजना की प्रगति भी तेज होगी। इसके लिए जिला स्तर पर निगरानी तंत्र और एस्केलेशन मैट्रिक्स बनाना उपयोगी साबित हो सकता है।

निष्कर्ष

PM Surya Ghar Yojana ने यह साबित कर दिया है कि भारत की छतें अब सिर्फ धूप नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत भी बन सकती हैं। योजना की शुरुआत ने देश के सौर ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा दी है, लेकिन इसे सफलता के शिखर तक पहुँचाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। सरकार, वेंडर और उपभोक्ता—तीनों की संयुक्त भागीदारी ही इस योजना को सफल बना सकती है।

अगर जागरूकता, पारदर्शिता और प्रक्रिया में सरलता लाई गई तो आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो सकता है जहां हर घर सौर ऊर्जा से रोशन होगा। इस दिशा में PM Surya Ghar Yojana सिर्फ एक सरकारी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा की क्रांति का प्रतीक बन सकती है।

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